राज्य का मजदूर बेहद परेशान है। यह वह वर्ग है जो हर रोज कमाकर अपने लिए खाने का बंदोबस्त करता था। मगर कोरोना संक्रमण की वजह से देश में लगे लॉकडाउन की वजह से यह वर्ग अब भोजन के संकट से जूझ रहा है। बहुत से लोगों ने राशन कार्ड की मदद से सरकार की तरफ से मिले मुफ्त राशन को ले लिया, मगर हजारों की तादाद में लोग ऐसे भी हैं जिनके पास कार्ड नहीं, हालांकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस वर्ग की मदद की बात कही है। रविवार को यूपी, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, झारखंड और बिहार में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूरों के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होते रहे। बहुत से मजदूर राज्य के कई ग्रामीण इलाकों में पैदल ही किसी राज्य या शहर को पारकर पहुंचे हैं। सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। इस पर मुसीबत में फंसे मजूदरों के लिए मदद ली जा सकती है
सरकार द्वारा जारी नंबर
पटरी पर चलकर पहुंचे 200 किलोमीटर दूर

यातायात के साधन पूरी तरह से बंद हैं। ऐसे में काम की तलाश में बाहर गए मजदूर अब घरों लौटना चाहते हैं। अंबिकापुर के विश्रामपुर कुछ ऐसे ही मजदूर पैदल पहुंचे। यह रेलवे का काम करने के लिए मध्यप्रदेश के अनुपपुर गए हुए थे। 200 किलोमीटर पैदल चलकर यह विश्रामपुर पहुंचे। यहां भाजपा नेता दुर्गा गुप्ता ने बताया कि खरपरा गांव के पंचायत भवन में सभी 17 मजदूरों को रुकवाया गया है, यहीं उनके भोजन का इंतेजाम किया जा रहा है। यह सभी झारखंड के रहने वाले हैं। रविवार की सुबह करीब 6 बजे रायपुर से निकले 25 मजदूर बिलासपुर के कोटा इलाके पटैता पंचायत में पहुंचे। यह पैदल ही अपने गांव मध्यप्रदेश के डिंडोरी जाने का सफर तय कर रहे हैं।
कवर्धा के मजदूर गुजरात में भूखे हैं

अपना वीडियो जारी कर मजदूरों ने बताया कि कबीरधाम के 58 लोग गुजरात में रोजी-रोटी की वजह से पहुंचे थे। वे गुजरात के वडोदरा शहर में गोरवा दशमा मंदिर के पास जीपी ऑफिस के पास लेबर कॉलोनी में रह रहे हैं । श्रमिकों ने बताया कि वहां कंस्ट्रक्शन करने गए थे जो कि बंद हो चुका है। अब खाने-पीने की तकलीफ है । मजदूरों ने हाथ जोड़कर वीडियो में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कवर्धा विधायक व कैबिनेट मंत्री मो. अकबर से मदद मांगी है। मजदूरों ने बताया कि वहां का लेबर कांट्रेक्टर गायब है । मजदूरों के पास अनाज का एक दाना नहीं है । वीडियो में वह पूछ रहे हैं कि भूखे पेट कितने दिन तक रहेंगे ?
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने की लखनऊ में फंसे श्रमिकों की मदद

इस बीच गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने लखनऊ में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों के खाने-पीने की व्यवस्था करवाई। उत्तरप्रदेश के लखनऊ में छत्तीसगढ़ के मुंगेली, बेमेतरा व अन्य जिलों के करीब 100 मज़दूर लॉकडाउन के चलते फंसे हुए हैं। उन्होंने मीडिया के माध्यम से मदद की गुहार लगाई। गृहमंत्री को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने मुख्य सचिव आर. पी. मंडल से बात की , जिसके बाद श्रमिकों के लिए भोजन का इंतेजाम करवाया। मगर अन्य जगहों में फंसे मजदूरों की किस्मत इतनी अच्छी फिलहाल नहीं है।
बस्तर के मजदूरों से ठेकेदार ने कह दिया नहीं दूंगा पैसे

रविवार की सुबह दंतेवाड़ा के भुसारास से पैदल 6 मजदूर नगरनार जाने पैदल निकल गए। मजदूरों ने बातया कि भुसारास में डेम के निर्माण के काम के लिए वह आए हुए थे। लॉकडाउन होने के बाद ठेकेदार ने इनकी सुध नहीं ली। मजदूरों ने बातया हमारे पास खाने के लिए कुछ नही हैं सुबह नकूलनार से निकले सुरक्षाबल के जवानों ने दो दो रोटी नास्ते में दी थी। भुसारास से नगरनार की दूरी करीब डेढ़ सौ किलोमीटर की है। करीब तीन दिन का वक्त इन मजदूरों को अपनी मंजिल में पहुंचने में लगेगा। शिन्द्रों,सुखमन,गंगाधर,गुरुबन्धु,भास्कर और आशाराम ने बातया हम बेहद परेशान हैं। एसडीएम प्रकाश भारद्वाज ने बताया कि सभी ग्राम पंचायतो में दो दो किवंटल चावल रखवाया गया है , उन्होंने कहा पैदल जाने वालों के लिए व्यवस्था करेंगे।
मंडला जाने के लिए पैदल निकले

बेमेतरा में करीब 29 मजदूर पहुंचे। यह सभी मध्यप्रदेश के मंडला जिले के बिछिया तहसील के विभिन्न गांवों के निवासी हैं। सभी मजदूरी करने के लिए 15 दिन पहले ही रायपुर आए थे। बेमेतरा विधायक आशीष छाबडा ने मजदूरों के भोजन का इंतेजाम किया। कवर्धा की ओर जा रहे राशन लेने ट्रक से मध्य प्रदेश बॉर्डर तक इन्हें भेजा गया। सभी रायपुर से करीब 75 किलोमीटर का सफर पैदल ही चल कर बेमेतरा पहुंचे थे। मजदूर छत्तर सिंह बिछिया ने बताया कि रायपुर के भनपुरी औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरी करने के लिए सभी गए हुए थे। बेमेतरा क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में रहने वाले कई मजदूर पैदल ही अपने-अपने गांव घर लौटने लगे हैं। पिछले 3 दिनों से 150 से अधिक मजदूर पलायन कर चुके हैं।
यूपी और एमपी जाने के लिए निकले

3 दिनों तक भूख और प्यास को सहकर पैदल रायपुर से बनारस जा रहे 20 मजदूरों को पेट्रोल पंप संचालक ने भोजन करवाया। कोराबा के कोरबी चोटिया में अनवर खान ने इनकी मदद की। रायपुर से बनारस,व चिरमिरी पैदल जा रहे बीस मजदूरों अपनी तकलीफ बताई। मजदूरों ने बताया कि कुछ रायपुर तो कुछ लोग कोरिया में रहकर मजदूरी कर रहे थे। उन्हें समझाइश देकर फैक्ट्री से निकाल दिया गया इसलिए वो अपने गांव पैदल ही जा रहे हैं। मोगरा ओवर ब्रिज के काम पर लगे मजदूर भी पैदल ही शहडोल जाने के लिए निकल गए। शिवप्रसाद,राजकिशोर ने बताया कि हम 26 मजदूर हैं। काम बंद होने की वजह से दिक्कत है। कम से कम अपने गांव में रहेंगे तो बीमारी में परेशानी नही होगी, शहडोल की दूरी 200 किलोमीटर से ज्यादा है रास्ते में कोई साधन मिला तो ठीक वर्ना पैदल ही चले जाएंगे।
तेलंगाना में फंसे राज्य के मजदूर
डोंगरगढ़ ब्लॉक के ग्राम कल्याणपुर से 7 मजदूर तेलंगाना के हैदराबाद में फंसे हुए है। सभी मजदूर कंट्रक्शन कम्पनी में काम करने के लिए गए थे। लॉकडाउन के बाद वे कंट्रक्शन एरिया में बनी झुग्गी झोपड़ी से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। वहाँ फंसे मजदूर इंद्र कुमार पाटिल ने बताया कि न तो ठेकेदार सुध ले रहा और न ही तेलंगाना सरकार से कोई मदद मिल पाई है। उनके पास पैसे भी खत्म हो गए और अपने प्रदेश लौट भी नहीं पा रहे। झोपड़ी से बाहर निकलने पर तेलंगाना पुलिस की सख्ती झेलनी पड़ रही है। कंट्रोल रूम से मदद मांगने के बावजूद अब तक किसी तरह की राहत नही मिली है। वहाँ भूख रहने की नौबत आ गई है। कंट्रक्शन कंपनी का मालिक भी गायब है।